Sunday, December 16, 2007

आदमी खजूर हो गये ,दूर , और दूर हो गए !

आदमी खजूर हो गये , दूर , और दूर हो गए !
दर्द है कबीर - जायसी , गीत - राग सूर हो गए !
छल कपट उदार है सभी , क्योकि सत्य कूरुर हो गए !
भावना मिली हमें मगर , हम ऋणी जरुर हो गए !
पांव देख रो पड़े हम ही , जिस घड़ी मयूर हो गए !
कल मिले इनाम जो हमें , आज वो कुसूर हो गए !
पास नहीं रहे वहां , महफिलो में नूर हो गए !
आसपास पास हो गए , दूर , दूर दूर हो गए !
हम हम नहीं रहे , लक्ष्य जब हुजूर हो गए !

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