Sunday, December 16, 2007

आदमी खजूर हो गये ,दूर , और दूर हो गए !

आदमी खजूर हो गये , दूर , और दूर हो गए !
दर्द है कबीर - जायसी , गीत - राग सूर हो गए !
छल कपट उदार है सभी , क्योकि सत्य कूरुर हो गए !
भावना मिली हमें मगर , हम ऋणी जरुर हो गए !
पांव देख रो पड़े हम ही , जिस घड़ी मयूर हो गए !
कल मिले इनाम जो हमें , आज वो कुसूर हो गए !
पास नहीं रहे वहां , महफिलो में नूर हो गए !
आसपास पास हो गए , दूर , दूर दूर हो गए !
हम हम नहीं रहे , लक्ष्य जब हुजूर हो गए !

Thursday, December 6, 2007

jab bhi aayi teri yaad, jaanam sham ke baad

jab bhi aayi teri yaad, jaanam sham ke baad,
kuch sanjida haalat hui, meri sham ke baad....

yun to har lamha teri yaad ka bozal gujra,
dil ko mehsoos hui teri kami, shaam ke baad.....

yun to kuch sham se pahele bhi thi yaadein teri,
ab to kuch aur badi dil ki lagi sham ke baad....

seene mein teri yaad ka, tufaan ubhar aaya hai
teri yaad mein tadap raha hoon, ye kaisa tufaan ubhar aaya hai.....

meri tadap ka soch kar, kuch aur soch na payegi tu
meri mohabbat mein saj kar, kuch aur kar na payegi tu.....

dil se niklein hain ye labz-e-azeez, teri mohabbat mein
sanwaar lena ihein dil mein, ye labz-e-azeez teri mohabbat ke....!!

Saturday, October 13, 2007

GOD ALWAYS GIVE...................

किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा नआये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरनेलगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम होजाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम होजाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये
ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही "
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Friday, October 12, 2007

कितनी ही पीड़ाएं हैं

कितनी ही पीड़ाएं हैं
जिनके लिए कोई ध्वनि नहीं
ऐसी भी होती है स्थिरता
जो हूबहू किसी दृश्य में बंधती नहीं

सुबह ओस से निकलती है
मन को गीला करने की जिम्मेदारी उस पर है
शाम को झांकती है बारिश से
बचे-खुचे को भिगो जाती है

धूप धीरे-धीरे जमा होती है
कमीज और पीठ के बीच की जगह में
रह-रहकर झुलसाती है

माथा चूमना
किसी की आत्मा चूमने जैसा है
कौन देख पाता है
आत्मा के गालों को सुर्ख होते

दुख के लिए हमेशा तर्क तलाशना
एक खराब किस्म की कठोरता है ।
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हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिए वक़्त नही.
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िंदगी के लिए ही वक़्त नही.

माँ की लोरी का एहसास तो है
पर माँ को माँ केहने का वक़्त नही.
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफ़नाने का भी वक़्त नही.

सारे नाम मोबाईल में हैं
पर दोस्ती के लिए वक़्त नही.
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनो के लिए ही वक़्त नही.

आँखों मे है नींद बड़ी,
पर सोने का वक़्त नही.
दिल है गमो से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नही.

पैसों की दौड़ मे ऐसे दौड़े,
की आराम का भी वक़्त नही.
पराए एहसासों की क्या क़द्र करें,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही.

तू ही बता ए ज़िंदगी,
इस ज़िंदगी का क्या होगा,
की हर पल मरनेवालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नही...
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Thora sa Piyar Hoa Tha

Thora sa Piyar Hoa tha
Kuch Nahin Baqi

Chahaton ka Silla Yeh
Khub Tum Ney Diya Hai

Apni Duniya Basa Li
Hum ko Tanha Kiya Hai

Yeh Bata Dey Hamarey
Piyar Main Kiya Kammi Hai

Meri Palkon Main Dekho
Aaj Kitni Nammi Hai

Jesay Souraj Ho Chupa
Piyar Mera Hai Doba

Reh Gai Hai Tanhai
Kesa Iqrar Tha Tera

Kuch Nahin Baqi
Thora Sa Piyar Hoa Tha

Kuch Nahin Baqi
Kiss Nay Dekha Dard Mera

Meri Halat Hai Jani
Meri Barbadiyon Ki

To Nay Likhi Kahani
Pehlay To Dil Lagaya

Phir Usey Toor Dala
Saath Chaltey Chaltey Kiyoon

Rah Main Chor Dala
Aesi Hai Dil Ki Lagi Jo

Bhujaey Na Bhujey
Tujh Pay Itbaar Kiya Tha

Ab Kuch Nahin Baqi
Thora Sa Piyar Hoa Tha


Kuch Nahin Baqi.........

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Thursday, October 11, 2007

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कुदरत ने जब आपको सुन्दर बनाया है !
फिर क्यों किलो से पाउडर लगाया है !
संवरने के नाम पर इतना मकेअप ,
अच्छे - खासे चहरे को पार्लर बनाया है !
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भी किसी को करीब पाया है !
क़सम से वही पे धोका खाया है !
क्यों दोष देते है हम कांटों को ,
जख्म तो हमने फूलों से पाया है !
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न करना शिक़ायत ज़माने से कोई ......

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न करना शिक़ायत ज़माने से कोई !

अगर मान जता मनाने से कोई !
किसी को नही याद करना कोई ,
ग़र भूल जता भुलाने से कोई !
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चहरे- चहरे पे फ़र्क होता है .....

चहरे - चहरे मे फ़र्क होता है !
हर चहरे पे दिल दर्ज होता है !
तेरे चहरे कि ज़माने मे है चर्चा ,
जो देखे उसका बेडा गर्क होता है !