आदमी खजूर हो गये , दूर , और दूर हो गए !
दर्द है कबीर - जायसी , गीत - राग सूर हो गए !
छल कपट उदार है सभी , क्योकि सत्य कूरुर हो गए !
भावना मिली हमें मगर , हम ऋणी जरुर हो गए !
पांव देख रो पड़े हम ही , जिस घड़ी मयूर हो गए !
कल मिले इनाम जो हमें , आज वो कुसूर हो गए !
पास नहीं रहे वहां , महफिलो में नूर हो गए !
आसपास पास हो गए , दूर , दूर दूर हो गए !
हम हम नहीं रहे , लक्ष्य जब हुजूर हो गए !
Sunday, December 16, 2007
Thursday, December 6, 2007
jab bhi aayi teri yaad, jaanam sham ke baad
jab bhi aayi teri yaad, jaanam sham ke baad,
kuch sanjida haalat hui, meri sham ke baad....
yun to har lamha teri yaad ka bozal gujra,
dil ko mehsoos hui teri kami, shaam ke baad.....
yun to kuch sham se pahele bhi thi yaadein teri,
ab to kuch aur badi dil ki lagi sham ke baad....
seene mein teri yaad ka, tufaan ubhar aaya hai
teri yaad mein tadap raha hoon, ye kaisa tufaan ubhar aaya hai.....
meri tadap ka soch kar, kuch aur soch na payegi tu
meri mohabbat mein saj kar, kuch aur kar na payegi tu.....
dil se niklein hain ye labz-e-azeez, teri mohabbat mein
sanwaar lena ihein dil mein, ye labz-e-azeez teri mohabbat ke....!!
kuch sanjida haalat hui, meri sham ke baad....
yun to har lamha teri yaad ka bozal gujra,
dil ko mehsoos hui teri kami, shaam ke baad.....
yun to kuch sham se pahele bhi thi yaadein teri,
ab to kuch aur badi dil ki lagi sham ke baad....
seene mein teri yaad ka, tufaan ubhar aaya hai
teri yaad mein tadap raha hoon, ye kaisa tufaan ubhar aaya hai.....
meri tadap ka soch kar, kuch aur soch na payegi tu
meri mohabbat mein saj kar, kuch aur kar na payegi tu.....
dil se niklein hain ye labz-e-azeez, teri mohabbat mein
sanwaar lena ihein dil mein, ye labz-e-azeez teri mohabbat ke....!!
Saturday, October 13, 2007
GOD ALWAYS GIVE...................
किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा नआये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरनेलगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम होजाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम होजाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये
ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही "
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के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा नआये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरनेलगे
किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम होजाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम होजाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये
ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही "
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Friday, October 12, 2007
कितनी ही पीड़ाएं हैं
कितनी ही पीड़ाएं हैं
जिनके लिए कोई ध्वनि नहीं
ऐसी भी होती है स्थिरता
जो हूबहू किसी दृश्य में बंधती नहीं
सुबह ओस से निकलती है
मन को गीला करने की जिम्मेदारी उस पर है
शाम को झांकती है बारिश से
बचे-खुचे को भिगो जाती है
धूप धीरे-धीरे जमा होती है
कमीज और पीठ के बीच की जगह में
रह-रहकर झुलसाती है
माथा चूमना
किसी की आत्मा चूमने जैसा है
कौन देख पाता है
आत्मा के गालों को सुर्ख होते
दुख के लिए हमेशा तर्क तलाशना
एक खराब किस्म की कठोरता है ।
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जिनके लिए कोई ध्वनि नहीं
ऐसी भी होती है स्थिरता
जो हूबहू किसी दृश्य में बंधती नहीं
सुबह ओस से निकलती है
मन को गीला करने की जिम्मेदारी उस पर है
शाम को झांकती है बारिश से
बचे-खुचे को भिगो जाती है
धूप धीरे-धीरे जमा होती है
कमीज और पीठ के बीच की जगह में
रह-रहकर झुलसाती है
माथा चूमना
किसी की आत्मा चूमने जैसा है
कौन देख पाता है
आत्मा के गालों को सुर्ख होते
दुख के लिए हमेशा तर्क तलाशना
एक खराब किस्म की कठोरता है ।
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हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिए वक़्त नही.
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िंदगी के लिए ही वक़्त नही.
माँ की लोरी का एहसास तो है
पर माँ को माँ केहने का वक़्त नही.
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफ़नाने का भी वक़्त नही.
सारे नाम मोबाईल में हैं
पर दोस्ती के लिए वक़्त नही.
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनो के लिए ही वक़्त नही.
आँखों मे है नींद बड़ी,
पर सोने का वक़्त नही.
दिल है गमो से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नही.
पैसों की दौड़ मे ऐसे दौड़े,
की आराम का भी वक़्त नही.
पराए एहसासों की क्या क़द्र करें,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही.
तू ही बता ए ज़िंदगी,
इस ज़िंदगी का क्या होगा,
की हर पल मरनेवालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नही...
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पर एक हँसी के लिए वक़्त नही.
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िंदगी के लिए ही वक़्त नही.
माँ की लोरी का एहसास तो है
पर माँ को माँ केहने का वक़्त नही.
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफ़नाने का भी वक़्त नही.
सारे नाम मोबाईल में हैं
पर दोस्ती के लिए वक़्त नही.
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनो के लिए ही वक़्त नही.
आँखों मे है नींद बड़ी,
पर सोने का वक़्त नही.
दिल है गमो से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नही.
पैसों की दौड़ मे ऐसे दौड़े,
की आराम का भी वक़्त नही.
पराए एहसासों की क्या क़द्र करें,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही.
तू ही बता ए ज़िंदगी,
इस ज़िंदगी का क्या होगा,
की हर पल मरनेवालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नही...
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Thora sa Piyar Hoa Tha
Thora sa Piyar Hoa tha
Kuch Nahin Baqi
Chahaton ka Silla Yeh
Khub Tum Ney Diya Hai
Apni Duniya Basa Li
Hum ko Tanha Kiya Hai
Yeh Bata Dey Hamarey
Piyar Main Kiya Kammi Hai
Meri Palkon Main Dekho
Aaj Kitni Nammi Hai
Jesay Souraj Ho Chupa
Piyar Mera Hai Doba
Reh Gai Hai Tanhai
Kesa Iqrar Tha Tera
Kuch Nahin Baqi
Thora Sa Piyar Hoa Tha
Kuch Nahin Baqi
Kiss Nay Dekha Dard Mera
Meri Halat Hai Jani
Meri Barbadiyon Ki
To Nay Likhi Kahani
Pehlay To Dil Lagaya
Phir Usey Toor Dala
Saath Chaltey Chaltey Kiyoon
Rah Main Chor Dala
Aesi Hai Dil Ki Lagi Jo
Bhujaey Na Bhujey
Tujh Pay Itbaar Kiya Tha
Ab Kuch Nahin Baqi
Thora Sa Piyar Hoa Tha
Kuch Nahin Baqi.........
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Kuch Nahin Baqi
Chahaton ka Silla Yeh
Khub Tum Ney Diya Hai
Apni Duniya Basa Li
Hum ko Tanha Kiya Hai
Yeh Bata Dey Hamarey
Piyar Main Kiya Kammi Hai
Meri Palkon Main Dekho
Aaj Kitni Nammi Hai
Jesay Souraj Ho Chupa
Piyar Mera Hai Doba
Reh Gai Hai Tanhai
Kesa Iqrar Tha Tera
Kuch Nahin Baqi
Thora Sa Piyar Hoa Tha
Kuch Nahin Baqi
Kiss Nay Dekha Dard Mera
Meri Halat Hai Jani
Meri Barbadiyon Ki
To Nay Likhi Kahani
Pehlay To Dil Lagaya
Phir Usey Toor Dala
Saath Chaltey Chaltey Kiyoon
Rah Main Chor Dala
Aesi Hai Dil Ki Lagi Jo
Bhujaey Na Bhujey
Tujh Pay Itbaar Kiya Tha
Ab Kuch Nahin Baqi
Thora Sa Piyar Hoa Tha
Kuch Nahin Baqi.........
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Thursday, October 11, 2007
न करना शिक़ायत ज़माने से कोई ......
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न करना शिक़ायत ज़माने से कोई !
अगर मान जता मनाने से कोई !
किसी को नही याद करना कोई ,
ग़र भूल जता भुलाने से कोई !
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न करना शिक़ायत ज़माने से कोई !
अगर मान जता मनाने से कोई !
किसी को नही याद करना कोई ,
ग़र भूल जता भुलाने से कोई !
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चहरे- चहरे पे फ़र्क होता है .....
चहरे - चहरे मे फ़र्क होता है !
हर चहरे पे दिल दर्ज होता है !
तेरे चहरे कि ज़माने मे है चर्चा ,
जो देखे उसका बेडा गर्क होता है !
हर चहरे पे दिल दर्ज होता है !
तेरे चहरे कि ज़माने मे है चर्चा ,
जो देखे उसका बेडा गर्क होता है !
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